ये हंगाम-ए-विद-ए-शब है ज़ुल्मत के फ़रज़ंदो,
सहर के दोश पर गुलनार परचम हम भी देखेंगे,
तुम्हें भी देखना होगा ये आलम हम भी देखेंगे
– Sahir Ludhianvi
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ये हंगाम-ए-विद-ए-शब है ज़ुल्मत के फ़रज़ंदो,
सहर के दोश पर गुलनार परचम हम भी देखेंगे,
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